श्रीलंकाई नागरिकों को शनिवार को एक बड़ी राहत देश में लागू आपातकाल हटा

RP, देश-विदेश, NewsAbhiAbhiUpdated 21-05-2022 IST
श्रीलंकाई नागरिकों को शनिवार को एक बड़ी राहत देश में लागू आपातकाल हटा

 आर्थिक संकट (Economic Crisis) का सामना कर रहे श्रीलंकाई नागरिकों को शनिवार को एक बड़ी राहत दे दी गई. श्रीलंका सरकार (Sri Lankan Government) ने देश में लागू आपातकाल शनिवार को हटा लिया.देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट और सरकार विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए दो सप्ताह पहले आपातकाल लागू किया गया था.

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने एक महीने के अंदर दूसरी बार छह मई की मध्यरात्रि आपातकाल लागू किया था.’हिरु न्यूज’ की खबर के अनुसार राष्ट्रपति सचिवालय ने कहा है कि शुक्रवार मध्यरात्रि से आपातकाल हटा लिया गया है. देश में कानून-व्यवस्था में सुधार को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

हिंसक झड़प में नौ लोगों की मौत
श्रीलंका में सरकार समर्थक और सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई झड़पों में नौ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं. श्रीलंका साल 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.

देश में किस कदर महंगाई की मार है उसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि देश की मुद्रास्फीति की दर 40 प्रतिशत दर की तरफ बढ़ चुकी है. जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पा रही है. लोगों को दवाइयां, तेल जैसी जरूरी सामानों के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है.

आर्थिक संकट के बीच बंद किए गए स्कूल
इससे पहले श्रीलंका के अधिकारियों ने दशकों के सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच ईंधन की भारी कमी के कारण शुक्रवार को यहां स्कूल बंद कर दिए और सरकारी अधिकारियों से काम पर नहीं आने की अपील की.

लोक प्रशासन मंत्रालय ने आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने वालों को छोड़कर, बाकी सरकारी अधिकारियों से देश भर में मौजूदा ईंधन की कमी के मद्देनजर शुक्रवार को काम पर नहीं आने के लिए कहा. राज्य और सरकार द्वारा अनुमोदित निजी स्कूल भी ईंधन की बढ़ती कमी के बीच शुक्रवार को बंद कर दिए गए. हज़ारों लोग देश भर में ईंधन केंद्रों पर कतारों में इंतजार कर रहे थे.

गौरतलब है कि श्रीलंका में पेट्रोल लगभग खत्म हो गया है और अन्य ईंधन की भी भारी कमी होने लगी है. सरकार हाल के महीनों में ईंधन, गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं के आयात का भुगतान करने के लिए धन जुटाने के लिए संघर्ष कर रही है, क्योंकि द्वीपीय राष्ट्र दिवालिया होने के कगार पर है.

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