बुजुर्ग एथलिट रामबाई ने खेतों के कच्चे रास्तों पर खेल की प्रेक्टिस की और खेतों का भी कार्य करती हैं. रामबाई बताती हैं कि वो सुबह 4 बजे उठकर अपने दिन की शुरुआत करती हैं, जिसमें वो लगातार दौड़ और पैदल चलने का अभ्यास भी करती हैं. इसके अलावा वो इस उम्र में भी 5-6 किलोमीटर तक दौड़ लगाती हैं.
इंसान में अगर जज्बा और हौंसला बुलंद हो तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है, चाहे उम्र कुछ भी हो. इस बात को चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी 105 वर्षीय रामबाई ने साबित कर दिखाया है. यहां रामबाई की फिटनेस देख लोगों का भी पसीना छूटा है. जिन्होंने पिछले दिनों गुजरात के वडोदरा में हुई राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 100 मीटर दौड़ में नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया है.
राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में वह इस उम्र में भी इतनी तेजी से दौड़ीं कि 100 मीटर की रेस 45.40 सेकंड में पूरी करते हुए मान कौर का रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया रिकार्ड बनाया है. उम्र की दहलीज भी उनकी प्रतिभा को नहीं रोक पाई और अनेकों राष्ट्रीय स्पर्धाओं में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पदकों का ढेर लगा लिया है. सीएम मनोहर लाल ने रामबाई के रिकॉर्ड बनाने व जीत पर बधाई दी है.
चरखी दादरी जिले के गांव कादमा की रामबाई ने पिछले वर्ष भी राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अपनी तीन पीढिय़ों के साथ गोल्ड जीतकर रिकार्ड बनाया था. बता दें कि गांव कादमा निवासी रामबाई बुजुर्ग एथलेटिक्स खिलाड़ी हैं और वे 105 वर्ष की आयु में वृद्धावस्था की परवाह किए बिना खेल को जीवन का हिस्सा बनाकर कड़ी मेहनत से आगे बढ़ रही हैं. रामबाई अपनी तीन पीढ़ी बेटी, पुत्र वधु, नातिन के साथ अनेक स्पर्धाओं में मेडल जीत चुकी हैं. पड़दादी के नाम से प्रसिद्ध रामबाई के रिकॉर्ड व जीत से गांव कादमा के लोगों में खुशी का माहौल है. परिवार में इस उम्र में खेलने वाली रामबाई इकलौती नहीं है, बल्कि उसके परिवार के अन्य सदस्य भी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं.
चरखी दादरी जिले का आखिरी गांव कादमा निवासी 105 वर्षीय रामबाई उडऩपरी पड़दादी के नाम से मशहुर है जिसने अपनी झोली में राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में कई गोल्ड मेडल हासिल किए हैं. अब इसी गांव की रामबाई ने 105 साल की उम्र में दौड़ में नया रिकॉर्ड बनाकर हरियाणा ही नहीं बल्कि गांव का नाम भी रोशन किया है. वे इससे पहले नवंबर 2021 में हुई प्रतियोगिता में 4 स्वर्ण पदक जीते थे. रामबाई गांव की सबसे बुजुर्ग महिला है और सब उनको उडऩपरी पड़दादी (पड़दादी) कह कर बुलाते हैं.
आम तौर पर 80 की उम्र तक पहुंचकर अधिकतर लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं. उम्र के इस पड़ाव पर लोगों का चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है. इसके बावजूद रामबाई 105 की उम्र में भी मिसाल बनी और खेलों में भाग ले रही हैं. उनका कहना है कि शरीर में जान ऐसे ही नहीं आती. उन्होंने बताया कि वह चूरमा, दही खाती हैं और दूध भी खूब पीती हैं. उन्होंने बताया कि वे रोजाना 250 ग्राम घी हर रोज रोटी या चूरमे के रूप में लेती है और रोजाना आधा किलो दही पीती हैं.
गांव में वह आमतौर पर खेतों में और घर में भी काम करते दिखाई देती हैं. इस उम्र में भी वे पूरी तरह से सेहतमंद हैं और इस उम्र में भी हर रोजाना 5 से 6 किलोमीटर तक दौड़ती हैं.