नई दिल्ली. भारत में कोरोना वैक्सीन की तीसरी यानी बूस्टर डोज़ लेने का गैप कम किया जा सकता है. बुधवार को इसको लेकर सरकार की साइंटिफिक एडवाइजरी कमेटी की बैठक हो सकती है. बता दें कि भारत में बूस्टर डोज़ को प्रिकॉशनरी डोज का नाम दिया गया है. अभी फिलहाल बूस्टर डोज़ सिर्फ उन्हें दिए जा रहे हैं जिन्होंने वैक्सीन की दूसरी डोज़ 9 महीने पहले ली थी. लेकिन अब कहा जा रहा है कि इस गैप को घटाकर 6 महीने किए जाने पर विचार किया जा सकता है.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) उस डेटा पर चर्चा कर सकती है जिसमें बताया गया है कि आखिर गैप कम करने से क्या फायदे होंगे. अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि NTAGI के सदस्य डेटा से ये जानने की कोशिश करेंगे कि दूसरी डोज़ लेने के बाद कब तक लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए इम्यूनिटी बनी रहती है.
विदेश यात्रा में परेशानी
इस वक्त अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले लोगों से कई देश बूस्टर डोज़ के सर्टिफिकेट मांग रहे हैं. लेकिन भारत में 9 महीने का गैप होने के चलते लोग बूस्टर डोज़ नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे में इन लोगों को विदेश जाने में परेशानी हो रही है. कई देश ने तीसरे डोज़ को लेकर गैप कम कर रखा है. ऐसे में सूत्रों के मुताबिक सरकार इस मुद्दे पर चर्चा कर सकती है. भारत में इस वक्त कोवैक्सीन और कोविशील्ड की तीसरी डोज़ लगाई जा रही है. कहा जा रहा है कि इन दोनों वैक्सीन से वायरस से लड़ने की क्षमता करीब 8 महीने तक रहती है.
क्या गैप घटाने से होगा फायदा?
पिछले दिनों न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए नेशनल टास्क फोर्स ऑन कोरोनावायरस और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव जयादेवन ने कहा था कि वैक्सीन के दूसरे डोज और बूस्टर डोज के बीच लंबे गैप से संक्रमण और बीमारी की गंभीरता से लड़ने में कमी आती है. उन्होंने अपनी स्टडी का हवाला देते हुए कहा था कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना वैक्सीन की सेकंड डोज लेने के 6 महीने बाद बूस्टर डोज लेता है तो वायरस के संक्रमण और उसकी गंभीरता से जुड़े मामलों में कमी आ जाती है.
Also Read: म्यांमार की नेता आंग सान सू ची पर भ्रष्टाचार का आरोप, 5 साल की सजा