माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को पंजाब की जेल में ही रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चली कानूनी लड़ाई के लिए पंजाब सरकार ने वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे को अपनी पैरवी के लिए लगाया था. अब उनकी 55 लाख रुपये की फीस का बिल मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) की सरकार की गले की हड्डी बन गया है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट में बताया गया कि हाल ही में भगवंत मान के पास पहुंचने से पहले दुष्यंत दवे की कानूनी फीस से संबंधित फाइल कई विभागों के चक्कर लगा चुकी है, मगर किसी ने उसे पास नहीं किया. मान ने खुद गुरुवार को पिछली कांग्रेस सरकार पर रोपड़ जेल में उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को ‘वीआईपी’ सुविधाएं देने करने का आरोप लगाया.
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि उस समय के मंत्रियों से कानूनी फीस के 55 लाख रुपये की वसूली के लिए कानूनी राय मांगी गई है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक खबर के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कार्यकाल में कानूनी फीस की फाइल तत्कालीन एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया के ऑफिस से सचिव (जेल) डीके तिवारी के पास चली गई थी. इसे तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा को भी भेजा गया था. फिर इसे तत्कालीन मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी के कार्यालय के साथ-साथ केएपी सिन्हा के तहत वित्त विभाग को भी भेजा गया था. हालांकि किसी ने भी फाइल को मंजूरी देने का फैसला नहीं लिया.