तापमान में गिरावट के चलते उत्तर भारत में सीजन का पहला घना कोहरा नजर आया

RP, देश , NewsAbhiAbhiUpdated 19-12-2022 IST
तापमान में गिरावट के चलते उत्तर भारत में सीजन का पहला घना कोहरा नजर आया

 दिल्ली से लेकर समूचे उत्तर भारत में पहली बार सीजन का घना कोहरा देखा गया. जो काफी देर तक सुबह बना रहा. इसकी वजह से अगर ट्रेनों का यातायात प्रभावित हुआ तो जनजीवन पर भी असर पड़ा. ठंड में अमूमन कोहरा पड़ता ही पड़ता है लेकिन इस बार इसमें देर क्यों हुई और ये कैसे बनता है.

 

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि दिल्ली में इस बार घने कोहरे के देर से होने की वजह वातावरण में वेस्टर्न डिस्टर्बेंसेज यानि पश्चिमी विक्षोभ की कमी है. इसी विक्षोभ के कारण जाड़ों के मौसम में बारिश होती है और हवा में नमी बढ़ती है. जो घने कोहरे की बड़ी वजह होती है. इस बार मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका असर कम है. यही वजह से है कि दिसंबर का महीना शुरू में गर्म सीजन के महीनों में शुमार किया गया था. हवा में शुष्की थी लेकिन अब स्थिति बदल रही है. अब आने वाले समय में घने कोहरे देखने को मिल सकते हैं.

कोहरा हवा में मौजूद बहुत छोटे-छोटे जलबिंदुओं के समूह से मिलकर बनता है. ये मूलतः गैस होती है जो कंडेंसेशन की प्रक्रिया यानी भाप के पानी बनने की प्रक्रिया से गुजरती है. पानी के ये छोटे कण हवा में तैरते रहते हैं. आंखों के सामने हल्की सफेद चादर जैसी दिखाई देती है, जिससे आसपास की चीजें साफ नजर नहीं आती हैं. शहरों में ये स्थिति और खराब होती है, जहां धूल और धुएं के कण मिलकर पानी के इन कणों को और सांद्र यानी गाढ़ा बना देते हैं, जिससे बहुत करीब की चीजें भी धुंधली लगती हैं.

कैसे कैसे कोहरे
कोहरा एक प्राकृतिक स्थिति है जो कई तरह की होती है, जैसे समुद्र की सतह पर होने वाला कोहरा जिसे सी-फॉग कहते हैं. कई बार कोहरा एकदम से घना होता है और फिर तुरंत ही गायब हो जाता है, इसे फ्लेश फॉग कहते हैं. ये फॉग हवा में नमी और तापमान की वजह से अचानक आकर चला जाता है.

क्यों कोहरा धुंध से ज्यादा घना होता है और देर तक रहता है
कोहरा धुंध से घना होता है और अपेक्षाकृत ज्यादा वक्त तक रह सकता है क्योंकि इसमें पानी के कण धुंध से ज्यादा होते हैं. कोहरे में देख सकने की क्षमता हजार मीटर से कम हो जाती है, इसमें हवाई जहाज तो चल सकते हैं लेकिन सड़क पर गाड़ियां चलने के लिए ये आदर्श स्थिति नहीं. 50 मीटर से कम दृश्यता होते ही सड़क पर दुर्घटनाएं होने लगती हैं.

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