चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बीते दिनों एक रिक्शा चालक की बेटी ने गोल्ड मेडल हासिल कर कमाल किया

RP, शहर और राज्य, NewsAbhiAbhiUpdated 20-12-2022 IST
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बीते दिनों एक रिक्शा चालक की बेटी ने गोल्ड मेडल हासिल कर कमाल किया

 

 मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एक रिक्शा चालक की बेटी ने बीएससी गणित में गोल्ड मेडल हासिल किया है. शमा परवीन ने मुश्किल हालातों में पढ़ाई की और एक आंख की रोशनी जाने के बाद भी जिला टॉपर से लेकर गोल्ड मेडल तक हार नहीं मानी. जैसे ही बेटी को राज्यपाल ने शमा को गोल्ड मेडल दिया तो यहां उसके रिक्शा चालक पिता भावुक हो गया.

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बीते दिनों एक रिक्शा चालक की बेटी ने गोल्ड मेडल हासिल कर कमाल किया है. उसका पिता रिक्शे की फेरी लगाता है और बेटी ने गरीबी के साथ ही एक आंख की खराब रोशनी के साथ बीएससी गणित में गोल्ड मेडल हासिल कर कामयाबी की शुरुआती उड़ान भरना शुरू कर दी है. जैसे ही बेटी को राज्यपाल ने गोल्ड मेडल दिया तो यहां उसके रिक्शाचालक पिता की आंखों आंसू भर आए.

ये कहानी है बुलंदशहर के गुलावटी की रहने वाली शमा परवीन की. शमा ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विवि से बीएससी गणित में कुलपति स्वर्ण पदक हासिल किया है. मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में गणित की छात्रा इससे पहले जिला टॉपर रही है. शमा परवीन का कहना है कि उनके पिता जरुर फेरी लगाते हैं, लेकिन बेटी की इस कामयाबी ने परिवार करे काफी उम्मीदें हैं. वो कहती हैं कि वो अपने भाई बहन में सबसे बड़ी है, लिहाजा उस पर बड़ी जिम्मेदारी है.

शमा बताती हैं कि उन्हें एक आंख से दिखता नहीं है. लोग उन पर ताना मारते थे, लेकिन वो इस बात से इत्तेफाक रखती हैं कि फिजिकल ब्यूटी नहीं, इनर ब्यूटी ज़रुरी होती है. शमा परवीन बताती हैं कि वो आगे चलकल आईएएस बनना चाहती हैं. शमा कहती हैं कि उनकी सफलता के पीछे उनके रिक्शाचालक पिता की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है और वहीं उनके नायक हैं.

शमा परवीन के पिता युनून खान का कहना है कि वो रिक्शा चलाते हैं और इमानदारी की रोटी कमाते हैं. इमानदारी की कमाई से वह पेट काटकर अपने बेटी को आगे बढ़ाना चाहते हैं. पिता बताते हैं कि बेटी की पढ़ाई के लिए उन्हें चीजें गिरवी रखनी पड़ी. उनका कहना है कि अपने बच्चों को जरुर पढ़ाना चाहिए.

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