भारत में बढ़ सकते हैं चीनी के दाम, उत्पादन में कमी के कारण असर

RP, कारोबार, NewsAbhiAbhiUpdated 21-11-2023 IST
भारत में बढ़ सकते हैं चीनी के दाम, उत्पादन में कमी के कारण असर
भारत दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश की सूची में शामिल है। वर्तमान में भारत देश में शुगर प्रोडक्शन में 8% की संभावित गिरावट का सामना कर रहा है। प्रोडक्शन में आई इस गिरावट के कारण कंज्यूमर्स और शुगर इंडस्ट्री दोनों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। इस कारण देश भर में चीनी की कीमतें बढ़ने के आसार बने हुए हैं। चीनी की कीमत अगर बढ़ती है तो आम जनता के घर का बजट बिगड़ सकता है।
भारत में शुगर इंडस्ट्री आम तौर पर कृषि और इकोनामिक ढांचे में अहम भूमिका निभाती है। लाखों किसान जीवन यापन के लिए गन्ने की खेती पर निर्भर करते हैं। गन्ने की खेती या सूगर प्रोडक्शन में किसी भी तरह के बदलाव के कारण पूरी सप्लाई चैन प्रभावित हो जाती है। वही मौसम की स्थिति, कीट संक्रमण और एग्रीकल्चर तरीके भी चीनी के प्रोडक्शन की और स्थिरता में काफी योगदान देते हैं।
 
विकासशील देशों में स्थिति गंभीर
 
इन दिनों चीनी की कीमतें आसमान छू रही है। इस कारण विकासशील देशों में चीनी की कीमत बढ़ने के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में बीते दो महीनों के दौरान चीनी के दाम 55 प्रतिशत तक बढ़ गए है। वर्ष 2011 के बाद ये पहला मौका है जब चीनी की कीमत सर्वाधिक उच्चतम स्तर पर है। चीनी की आपूर्ति अब कम हुई है। वहीं पहले से ही चावल की कमी से जूझ रहे देशों के लिए अब चीनी की कमी होना दोहरी मार के बराबर है। खाद्य पदार्थों की कमी के कारण खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हुई है।
 
खाद्य असुरक्षा को लेकर मुख्य रूप से जलवायु परिघटना अल नीनो, यूक्रेन में युद्ध और कमजोर मुद्राओं के कारण खाद्य असुरक्षा बढ़ी है। पश्चिमी दुनिया के अमीर देश ऊंची लागत को वहन कर सकते हैं, लेकिन गरीब देशों में लोगों को आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का अनुमान है कि 2023-24 सत्र में चीनी का वैश्विक उत्पादन दो प्रतिशत तक कम रह सकता है। एफएओ के वैश्विक कमोडिटी बाजार शोधकर्ता फैबियो पाल्मेरी ने कहा कि ऐसा होने पर वैश्विक चीनी उत्पादन में करीब लगभग 35 लाख टन की गिरावट आ जाएगी। एथनॉल जैसे जैव ईंधन के लिए भी चीनी का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए चीनी का वैश्विक भंडार 2009 के बाद से सबसे कम है।
 
ब्राजील चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक है, लेकिन इसकी पैदावार 2024 के अंत में ही कमियों को दूर करने में मदद करेगी। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) का मानना है कि इस साल भारत के चीनी उत्पादन में आठ प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। भारत चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और अब वहां चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। थाईलैंड शुगर प्लांटर्स एसोसिएशन के नेता नाराधिप अनंतसुक ने कहा कि उनके देश में अल नीनो प्रभाव से न केवल गन्ने की मात्रा में कमी आई है, बल्कि फसल की गुणवत्ता में भी बदलाव हुआ है। अमेरिकी कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में थाईलैंड में उत्पादन में 15 प्रतिशत घट सकता है। कृषि डेटा और विश्लेषण फर्म ग्रो इंटेलिजेंस की वरिष्ठ शोध विश्लेषक केली गौगरी ने कहा कि ब्राजील में गन्ने की उपज पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान है, लेकिन चीनी की वैश्विक आपूर्ति मार्च तक राहत नहीं मिल पाएगी।

Recommended

Follow Us