रमजानकी मंदिर परिसर की जमीन पर बाबा बिरियानी रेस्टोरेंट, चार दशक में मंदिर का वजूद ही मिटा दिया

RP, शहर और राज्य, NewsAbhiAbhiUpdated 20-05-2022 IST
रमजानकी मंदिर परिसर की जमीन पर बाबा बिरियानी रेस्टोरेंट, चार दशक में मंदिर का वजूद ही मिटा दिया

 ज्ञानवापी विवाद के बीच शहर के रामजानकी मंदिर का वजूद मिटाए जाने के राजफाश ने जिला प्रशासन को सकते में ला दिया है। मंदिर परिसर और भवन का वजूद मिटाए जाने का पता शहर में शत्रु सम्पत्तियों की तलाश के दौरान हुआ है।

एसडीएम द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि अस्सी के दशक में जहां मंदिर हुआ करता था, पूजा पाठ होती थी, वहां अब नामचीन नानवेज रेस्टोरेंट है। मंदिर का कुछ हिस्सा ही बचा है वह भी जीर्ण शीर्ण हालत में है। मंदिर के बचे हिस्से को भी अंदर ही अंदर तोड़कर रेस्टोरेंट की रसोई के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। मौजूदा हालात से साफ है कि मंदिर की एक-एक ईंट निकालकर वहां रेस्टोरेंट की नींव रखी गई जो बाबा बिरयानी के नाम से देशभर में मशहूर है।

बेकनगंज के डा. बेरी चौराहा स्थित भवन संख्या 99/14ए में रामजानकी मंदिर ट्रस्ट की जमीन जहां भगवान श्रीराम का मंदिर था। हालांकि इस संपत्ति को पाक नागरिक आबिद रहमान का बताया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक मुख्तार बाबा ने संपत्ति का हिबानामा आबिद रहमान से अपनी मां के नाम पर कराया। उसके बाद वसीयत कराकर खुद संपत्ति की खरीद फरोख्त शुरू कर दी, जबकि मंदिर ट्रस्ट के आगे हिंदुओं की 18 दुकानें थीं जिसे एक-एक कर तोड़ दिया गया और यहां की 400 वर्गगज जमीन पर आलीशान बिरयानी रेस्टोरेंट बन गया। 

प्रशासन को नहीं सूझ रहा जवाब

रामजानकी मंदिर ट्रस्ट की जमीन को लेकर एक सवाल जो बार-बार उठ रहा है उसका जवाब प्रशासन भी नहीं दे पा रहा है। यदि यह संपत्ति रामजानकी ट्रस्ट की है तो फिर शत्रु की कैसे हो सकती है। क्योंकि रामजानकी ट्रस्ट का संचालन हिंदू समाज के हाथों में होगा। इसलिए मुस्लिम व्यक्ति इसे कैसे बेच और खरीद सकता है। चूंकि रामजानकी मंदिर की बात एसडीएम की रिपोर्ट में है इसलिए अब यक्ष प्रश्न खड़ा है कि मंदिर कहां गया?

24 मई तक देना है जवाब

अधिकारियों के मुताबिक मुख्तार बाबा ने यह संपत्ति पाक नागरिक आबिद रहमान से ली थी इसीलिए इसे शत्रु संपत्ति के रूप में चिंहित किया गया है। प्रशासन ने 15 मई को नोटिस चस्पा किया था। चूंकि दस दिनों का समय दिया गया है लिहाजा 24 मई तक शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक को जवाब देना होगा अन्यथा यह संपत्ति शत्रु संपत्ति घोषित कर दी जाएगी।

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