तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) सहित अन्य उत्पादकों ने अपनी जिद छोड़ते हुए जल्द क्रूड ऑयल की सप्लाई बढ़ाने का भरोसा दिया है. बृहस्पतिवार को हुई बैठक के बाद ओपेक-प्लस ने जुलाई से ज्यादा उत्पादन का फैसला किया है.
ओपेक और रूस सहित करीब 23 बड़े उत्पादक देशों ने बैठक के बाद कहा कि जुलाई से प्रतिदिन 6.48 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाया जाएगा. यह पिछले साल की गई 4.32 लाख बैरल की बढ़ोतरी से काफी ज्यादा होगा. अभी तक तेज उत्पादक देश ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए अपनी सप्लाई नहीं बढ़ाने के जिद पर अड़े हुए थे. उनकी दलील थी कि महामारी के समय 20 डॉलर प्रति बैरल के आसपास क्रूड ऑयल बेचकर उन्हें काफी घाटा हुआ है, जिसकी भरपाई होने तक उत्पादन में इजाफा नहीं किया जा सकता है.
महंगाई से मिलेगी राहत, सस्ते होंगे पेट्रोल-डीजल
ओपेक-प्लस की ओर से यह राहत भरी खबर ऐसे समय में आई है जब ग्लोबल मार्केट में ब्रेंट क्रूड के भाव 120 डॉलर के आसपास पहुंच रहे हैं और भारत सहित दुनियाभर के देशों में महंगाई बढ़ती जा रही है. भारत अपनी कुल जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, जिससे यहां असर भी ज्यादा पड़ रहा है. अगर ग्लोबल मार्केट में सप्लाई बढ़ती है तो क्रूड की कीमतें नीचे आएंगी और पेट्रोल-डीजल के दाम भी गिरेंगे जिससे महंगाई कम होगी.
रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाई थी मुश्किल
इस साल की शुरुआत में रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध ने कच्चे तेल की कीमतों में आग लगा दी थी और ग्लोबल सप्लाई घटने की वजह से क्रूड के भाव 150 डॉलर को भी पार करते दिख रहे थे. तब अमेरिका-यूरोप सहित भारत ने भी ओपेक-प्लस से उत्पादन बढ़ाने की गुहार लगाई थी, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं किया गया. रूस से क्रूड की सप्लाई लगभग बंद होने से यूरोपीय देशों पर भारी संकट आ गया था, लेकिन ओपेक ने अपनी सप्लाई बढ़ाने से इनकार कर दिया था.
सऊदी ने भारत को दिया था दो टूक जवाब
भारत में जब पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये के ऊपर जा रही थीं, तब सरकार ने सऊदी अरब से क्रूड का उत्पादन और सप्लाई बढ़ाने की गुहार लगाई थी, लेकिन सऊदी ने उल्टे नसीहत दे डाली. इस अरब देश ने भारत से कहा कि महामारी में काफी सस्ता तेल खरीदा गया है, अब भारत को उसी रिजर्व तेल का इस्तेमाल करना चाहिए. फिलहाल हम अपना उत्पादन बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं. हालांकि, अब उत्पादन बढ़ाने पर राजी होने के बाद इसकी कीमतें घटने की उम्मीद बढ़ी है.
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